14.1 C
Dehradun
Tuesday, December 3, 2024
Homeहमारा उत्तराखण्डटिहरीपीजी कॉलेज नई टिहरी में एनएसएस के तत्वावधान में लगाया रक्तदान शिविर,...

पीजी कॉलेज नई टिहरी में एनएसएस के तत्वावधान में लगाया रक्तदान शिविर, रक्तदान के लिए किया प्रेरित

आज राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय नई टिहरी, टिहरी गढ़वाल में राष्ट्रीय सेवा योजना के तत्वधान में रक्तदान शिविर लगाया गया, जिसमें राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवियों द्वारा बढ़-चढ़कर प्रतिभाग किया गया।

शिविर से पूर्व महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर रेनू नेगी द्वारा रक्तदान महादान पर अपना उद्बोधन दिया गया तथा रक्तदान के महत्व पर प्रकाश डाला गया। शिविर में स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय, जौलीग्रांट से डॉ सिद्धार्थ त्यागी, के सी जोशी (PRO, Blood Donation), हिमांशु रावत, दर्शन पैन्यूली, शशि (स्टाफ नर्स) द्वारा भी प्रतिभाग किया गया।

राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी डॉ विजय प्रकाश सेमवाल द्वारा बताया गया कि रक्तदान को लेकर जागरूकता फैलाने हेतु स्वयंसेवी सक्रिय होते हैं तथा वे खुद भी रक्तदान करने के साथ-साथ दूसरों को भी रक्तदान के लिए प्रेरित करते हैं।

गौरतलब है कि रक्त किसी खेत में नहीं पैदा होता, नलकूप से भी नहीं निकलता और ना ही किसी वृक्ष से लगने वाले फलों से प्राप्त होता है। रक्त सिर्फ और सिर्फ मानव शरीर से ही प्राप्त होता है। यह बताना भी जरूरी है कि रक्तदान करने से शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव भी नहीं पड़ता है, जितना रक्त हम देते हैं उतना चंद दिनों के अंतराल में फिर से प्राप्त हो जाता है।

कोई भी व्यक्ति 3 माह के अंतराल में रक्तदान कर सकता है। ऐसे अनेक व्यक्ति हैं जिन्होंने अपने जीवन काल में 50 से 100 बार रक्तदान कर पुण्य कमाया है। रक्तदान की कीमत का निर्धारण नेशनल ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल, नई दिल्ली द्वारा किया जाता है। वर्तमान में 1 ml रक्त की कीमत 1400 ₹ के लगभग है।

विशेषज्ञों की मानें तो बार-बार खून दान करने से रक्त में मुख्य कंपोनेंट्स जैसे आर बी सी ,डब्ल्यू बी सी, प्लेटलेट्स आदि तेज गति से बनते हैं जो शरीर के लिए बहुत लाभदायक बताए जाते हैं। यही कारण है कि समय-समय पर रक्तदान करना फायदेमंद माना जाता है। रक्तदान शरीर में रक्त बनाने की क्रिया को भी तीव्र कर देता है।

रक्त कणिकाओं का जीवन सिर्फ 90 से 120 दिन तक होता है, प्रतिदिन हमारे शरीर में रक्त का छय होता रहता है और नया रक्त बनता जाता है और इसका हमें किसी भी तरह का अनुभव नहीं होता है। रक्तदान करते समय आयरन के साथ ही खून में शुगर लेवल भी कम हो जाता है, इस कमी को पूरा करने के लिए रक्तदान के पास बाद जूस पिए व हल्के स्नेक्स खाएं।

आयरन से भरपूर चीजों को रक्तदान के बाद भी खाया जाना चाहिए ताकि शरीर में आयरन की कमी पूरी हो और रेड ब्लड सेल्स बनने में शरीर को मदद मिले। O- और O+ लाल रक्त कणिकाओं को दान करने के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। O-एक सार्वभौमिक रक्त प्रकार है, जिसका अर्थ है कि कोई भी आपका रक्त प्राप्त कर सकता है। O+ ग्रुप वाला व्यक्ति A+, B+, AB+ और O+ ब्लड ग्रुप वाले लोगों को रक्तदान कर सकता है। O- ब्लड ग्रुप वाला डोनर किसी भी ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति को डोनेट कर सकता है। AB+ ब्लड ग्रुप वाला व्यक्ति AB+ ब्लड ग्रुप वाले लोगों को अपना रक्तदान कर सकता है।

कार्यक्रम अधिकारी डॉ रजनी गुसाईं ने अपने व्याख्यान में बताया कि रक्तदान से पूर्व चिकित्सक द्वारा किए जाने वाले स्वास्थ्य परीक्षण में व्यक्ति यह जान सकता है कि वह रक्तदान करने योग्य है या नहीं। मनुष्य के शरीर में 4.5 से 5 लीटर रक्त होता है। पुरुष के शरीर में 76 ml तथा महिलाओं के शरीर में 66 ml रक्त होता है।

अध्यापक तथा कर्मचारियों में डॉ वी पी सेमवाल, डॉ डी एस तोपवाल, डॉ सतेंद्र ढौंडियाल, डॉ गुरुपद गुसाईं, डॉ पी सी पैन्यूली, डॉ पुष्प पंवार, डॉ वैभव रावत, हरीश नेगी द्वारा, छात्र छात्राओं में विकास शाह, प्रदीप, प्रियांशु, दीक्षा पंवार, अमन खंडवाल, मीनाक्षी, महक आदि यथा लखवीर चौहान, प्रदीप रावत, अनुज उनियाल, शैलेंद्र कांति आदि द्वारा रक्तदान किया गया।

रक्तदान शिविर में डॉ डी पी एस भंडारी, डॉ पी सी पैन्यूली, डॉ आशा डोभाल, डॉ पदमा वशिष्ठ, डॉ दिनेश वर्मा, डॉ साक्षी शुक्ला, डॉ पूजा भंडारी, डॉ पुष्पा पंवार, डॉ सत्येंद्र ढौंडियाल, डॉ हेमलता बिष्ट, डॉ श्रद्धा, डॉ मीनाक्षी, डॉ मीरा कुमारी, डॉ कामिनी पुरोहित, डॉ गुरुपद गुसाईं, डॉ अजय बहुगुणा, डॉ सुभाष नौटियाल आदि उपस्थित रहे। हरीश मोहन नेगी द्वारा वीडियोग्राफी की गई।

RELATED ARTICLES

Leave a reply

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

- Advertisment -

Recent Comments

error: Content is protected !!