हेमंत चौकियाल (रुद्रप्रयाग)
गणित, खेल और बच्चे विषय पर अजीम प्रेमजी फाउण्डेशन और डायट बागेश्वर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित यूट्यूब बेबीनार में शिक्षकों के साथ संवाद करते हुए देश के जाने माने विज्ञान शिक्षक और कबाड़ से जुगाड़ की अवधारणा से हजारों विज्ञान के प्रयोगिक खिलौने बनाने वाले, आईआईटी से इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग स्नातक, तीन हजार से अधिक स्कूलों में कार्यशाला आयोजित करने, बीस देशों के बच्चों के साथ काम करने का अनुभव रखने वाले बहुमुखी प्रतिभा के धनी पद्मश्री अरविंद गुप्ता के यू ट्यूब प्रसारण में उत्तराखंड के पन्द्रह सौ से अधिक शिक्षकों ने प्रतिभाग किया।
डायट बागेश्वर के प्राचार्य डॉ० जोशी ने पद्मश्री अरविंद गुप्ता के परिचय से रूबरू करवाते हुए कहा कि यह हम सबका सौभाग्य है कि हम उन्हें लाइव देख और सुन रहे हैं। श्री गुप्ता Arvind गुप्ता ने अपने वक्तव्य की शुरूआत करते हुए कहा कि बच्चों को कुछ भी सिखाने से पहले अनुभव अर्जित करने के लिए खिलौनों से खेलने के मौके दिये जाने चाहिए। अनुभव अर्जित कर लेने के बाद बच्चे के लिए सीखना सरल और आनंददायक बन जाता है।
विज्ञान गणित पठन में रटने के बजाय पैटर्न को समझने की जरूरत
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि विज्ञान और गणित विषय के पठन में रटने के बजाय पैटर्न को जानने-समझने की जरूरत है। तीलियों और साइकिल की रबर ट्यूब से उन्होंने विभिन्न ज्यामिति आकृतियाँ बनाकर बताया कि प्रारंभिक स्तर पर कक्षा में बच्चों को इन गतिविधियों को स्वयं करने देने के अवसर देकर उनमें गणित को नीरस विषय मानने की प्रवृत्ति से पार पाना संभव है।
पीके श्रीनिवासन की पुस्तक नम्बर फन बिद द कलैण्डर से उधृत कुछ उदाहरणों के माध्यम से उन्होंने समझाने का प्रयास किया कि किस प्रकार बच्चों को अवसर देकर गिनती व पहाड़ों को रटने की प्रवृत्ति से इतर पैटर्न समझने के लिए उत्सुक किया जा सकता है।
कबाड़ से जुगाड़
कबाड़ से जुगाड़ तर्ज पर उन्होंने एक पुरानी चप्पल से कैसे बच्चों को उत्तल और अवतल दर्पण के गुण धर्म बताये जा सकते हैं। बच्चों की अवलोकन दक्षता में इजाफा कैसे करें? के लिए उन्होंने एक बहुत ही सुन्दर उदाहरण प्रस्तुत करते हुए बताया कि जब बच्चों को खाली माचिस की डिबिया के अंदर अधिक से अधिक वस्तुएं भरकर लाने को कहा जाता है तो इस प्रयास में वे अपने परिवेश की सूक्ष्म से सूक्ष्म वस्तु ढूंढने का प्रयास करते हैं।
अपनी बेवसाइट पर उपलब्ध 11सौ वीडियोज, जिनमें बच्चे खेल खेल में विज्ञान की विभिन्न अवधारणाओं को समझते हैं, के बारे में जिक्र करते हुए श्री गुप्ता ने बताया कि अब तक 10 करोड़ बच्चे इन वीडियोज को देख चुके हैं। सुदर्शन खन्ना की पुस्तक सुन्दर सलोने भारतीय खिलौने से उधृत खेलों द्वारा उन्होंने बताने का प्रयास किया कि बहुत से खेल जो हमारे परिवेश में बहुत पुराने समय से हैं, वे भी विज्ञान के विभिन्न नियमों की अवधारणाओं पर आधारित हैं।
उन्होंने बच्चों के शिक्षण शास्त्र की एक महत्वपूर्ण बात को रेखांकित करते हुए इशारा किया कि बच्चे समूह में तब सबसे जादा सृजनात्मक कार्य करते हैं, जब उन्हें इस बात का कोई भय नहीं होता कि कोई उनका आंकलन कर रहा है या कोई उन पर नजर रख रहा है। बागेश्वर अजीम प्रेमजी फाउण्डेशन के साथी उत्तम गोगोई के संचालन में सम्पन्न इस बेबीनार में श्री गुप्ता ने शिक्षकों के प्रश्नों के उत्तर भी दिए।