उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में बीते तीन दिनों से लगातार हो रही बारिश से शनिवार केा जहां सभी नदियां उफान पर आ गई थी, वहीं अलकनंदा एवं मंदाकिनी नदी के जलस्तर में आज रविवार को कमी आई है।
ऋषिकेश में भी गंगा का जल स्तर घटा है। आज रविवार सुबह 9.00 बजे गंगा का जल स्तर 339.69 आरएल मीटर था, जबकि खतरे का निशान 340.50 आरएल मीटर है।
वर्षा से राजमार्गों की स्थिति
ऋषिकेश-बदरीनाथ एवं गौरीकुंड राजमार्ग यातायात के लिए खुले हैं।
बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग कौडियाला और तोता घाटी के बीच बाधित।
बदरीनाथ राजमार्ग क्षेत्रपाल और जोशीमठ से आगे अवरुद्ध।
गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग कई जगहों पर क्षतिग्रस्त, आवाजाही रोकी।
यमुनोत्री राजमार्ग खरादी के पास भूस्खलन के कारण मलबा, बोल्डर आने से बंद।
ऋषिकेश-गंगोत्री राजमार्ग पर सामान्य रूप से वाहनों का आवागमन।
टनकपुर-पिथौरागढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग तीन जगह बंद।
पिथौरागढ़-घाट एनएच में पांच स्थानों पर मलबा आ गया।
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उत्तराखंड में आए मानसून ने प्रारंभ में ही अपना डरावना रूप दिखाना शुरू कर दिया है। प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में बीते कई घंटों से हो रही भारी वर्षा से लगभग सभी नदियों का जल स्तर बढ़ गया है।
गंगा का जलस्तर वर्ष 2013 की आपदा के बाद पहली बार खतरे के निशान से ऊपर बहने से तीन लाख 92 हजार 404 क्यूसेक तक पहुंचा है। गंगा के जलस्तर बढ़ने से हरिद्वार से लेकर कानपुर तक हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है।
ऋषिकेश और कुंभ नगरी हरिद्वार में गंगा का जलस्तर भी बढ़ गया है, जिसे देखते हुए प्रशासन द्वारा अलर्ट जारी किया है। अलकनंदा, मंदाकिनी, नंदाकिनी, शारदा, गोरी और गंगा नदी के उफान पर होने से वह खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं।
पौड़ी, टिहरी एवं ऋषिकेश प्रशासन द्वारा नदी किनारे रहने वाले लोगों को अलर्ट किया जा रहा है। प्रशासन द्वारा लोगों को सतर्क करने के लिए बाकायदा मुनादी करवाई जा रही है। ऋषिकेश में स्थित सभी गंगा घाट जलमग्न हो गए हैं।
बताया जा रहा है कि ऋषिकेश और हरिद्वार में गंगा का जलस्तर 340.34 आरएल मीटर पर पहुंच गया है। ऋषिकेश में गंगा खतरे के निशान से 18 सेमी नीचे बह रही है।
पहाड़ों में हो रही लगातार वर्षा से श्रीनगर में बीती रात्रि जहां अलकनंदा नदी खतरे के निशान को पार कर गई थी, वहीं आज शनिवार सुबह अलकनंदा का जलस्तर खतरे के निशान से नीचे पहुंच गया है।
प्रदेश की लगभग सभी नदियों के उफान पर होने से नदी तटों से लगी बस्ती के लोगों को भय का वातावरण बना हुआ है। हालांकि प्रशासन द्वारा लोगों को लगातार अलर्ट किया जा रहा है, लेकिन पहाड़ों में हो रही लगातार वर्षा का क्रम यदि ऐसा ही बना रहा तो यह चिंता का विषय बन सकता है।