Kedarnath By Election 2024: केदारनाथ विधानसभा सीट पर सुबह आठ बजे से मतदान शुरू हुआ, जोकि शाम छह बजे तक जारी रहेगा। सुबह नौ बजे तक 4.30 प्रतिशत मतदान हुआ। जबकि 11 बजे तक 17.6 प्रतिशत मतदान हुआ। मतदाता पोलिंग बूथों पर पहुंच रहे हैं। बुजुर्ग मतदाताओं को भी पोलिंग बूथों तक छात्रों द्वारा पहुंचाया जा रहा है।
केदारनाथ विधानसभा उप चुनाव में शाम 5 बजे तक 58.25 प्रतिशत मतदान हो चुका है। कई बूथों पर अभी भी मतदाताओं की लाइन लगी हुई है।
दोपहर तीन बजे तक 47 फीसदी मतदान हुआ है। वहीं, दोपहर बाद भी मतदान केंद्रों पर वोटिंग के लिए लंबी लाइन लगी है। मतदान शाम 6 बजे तक जारी रहेगा।
मतदाताओं में उत्साह भी नजर आ रहा है। कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत और भाजपा प्रत्याशी आशा नौटियाल ने अपना वोट डाल दिया है। 90875 मतदाता भाजपा, कांग्रेस सहित छह प्रत्याशियों के राजनीतिक जीवन का फैसला करेंगे। इसमें 44919 पुरुष और 45956 महिला मतदाता अपने विधायक का चुनाव करेंगे। मतदान के लिए 173 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं। सभी पोलिंग पार्टियां अपने गंतव्यों पर पहुंच गई हैं।
इस वर्ष नौ जुलाई को केदारनाथ विस की विधायक शैलारानी रावत के निधन से यह सीट खाली हो गई थी। जिसके लिए आज मतदान हो रहा है। आज केदारनाथ विधानसभा के 90 हजार से ज्यादा मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।
केदारनाथ विधानसभा सीट पर दोपहर एक बजे तक 34.40% मतदान हुआ है। मतदान शाम छह बजे तक जारी रहेगा।
अलग-अलग गुटों में बंटी कांग्रेस उपचुनाव के प्रचार युद्ध में भाजपा पर पूरी एकजुटता संग वार-पलटवार करती नजर आई। अब उसे मनचाहे नतीजे का इंतजार है। बदरीनाथ व मंगलौर उपचुनाव में जीत का उत्साह केदारनाथ के प्रचार को प्रचंड बनाने में उसके खूब काम आया।
उपचुनाव में सनातन धर्म की प्रतिष्ठा भी दांव पर: देवेश नौटियाल
भाजपा नेता देवेश नौटियाल का कहना है कि केदारनाथ विस उपचुनाव सिर्फ चुनाव नहीं है, बल्कि इसके साथ सनातन धर्म की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। ऐसे में विस के हर व्यक्ति की प्रतिष्ठा भी इससे जुड़ गई है। कहा, जैसे पहाड़ ने 1982 में एचएन बहुगुणा को बंपर वोट से जिताया था, उसी तरह इस बार भी कांग्रेस बुरी तरह हारेगी।
ठीक 42 वर्ष बाद केदारनाथ विस उपचुनाव में है खास
आज, ठीक 42 वर्ष बाद केदारनाथ विस उपचुनाव से एचएन बहुगुणा और भरत सिंह चौधरी का सीधा संबंध है। बहुगुणा के पौत्र सौरभ बहुगुणा बतौर जिला प्रभारी मंत्री के तौर पर प्रचार में उतरे हैं। वहीं, रुद्रप्रयाग के विधायक भरत सिंह चौधरी को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केदारनाथ विस का संयोजक बनाया है। इन दिनों दोनों नेता भाजपा प्रत्याशी आशा नौटियाल के लिए गांव-गांव वोट मांग रहे हैं।
कांग्रेस और बहुगुणा के बीच सीधा मुकाबला था। बहुगुणा का एक ही नारा था कि पहाड़ मुझे हारने नहीं देगा। केंद्र सरकार ने तब, अपने सारे संसाधन इस चुनाव में झोंक दिए थे। खास बात यह है कि इस चुनाव में तब युवा नेता के तौर पर भरत सिंह चौधरी (भाजपा नेता व रुद्रप्रयाग विधायक) बहुगुणा के खास हुआ करते थे। गांव-गांव प्रचार का जिम्मा उन्होंने ले रखा था। उपचुनाव में हेमवती नंदन बहुगुणा ने कांग्रेस के प्रत्याशी चंद्र सिंह नेगी को हराया था।
कई मायनों में आज भी याद किया जाता है यह उपचुनाव
वर्ष 1980 में हुए लोकसभा चुनाव में गढ़वाल सीट से हेमवती नंदन बहुगुणा विजयी हुए थे। तब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें आश्वस्त किया था कि वह गढ़वाल के विकास को प्राथमिकता देगी, पर ऐसा नहीं हुआ। बहुगुणा ने कई पत्र भी लिखे पर कुछ नहीं हुआ, जिससे आहत होकर उन्होंने लोकसभा की सदस्यता और कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद वह 1982 में गढ़वाल संसदीय सीट पर उपचुनाव हुआ, जिसमें बहुगुणा ने निर्दलीय चुनाव लड़ा। यह उपचुनाव, कई मायनों में आज भी याद किया जाता है।
1982 के उपचुनाव की यादें हुईं ताजा
केदारनाथ विस उपचुनाव ने वर्ष 1982 में गढ़वाल लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव की यादें ताजा कर दी हैं। 42 वर्ष पूर्व लोस उप चुनाव पर देश की नजर थी, आज वहीं स्थिति केदारनाथ विस की है। यहां भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है और दिल्ली तक इसकी गूंज हो रही है।
केदारनाथ धाम, आपदा के मुद्दे को कांग्रेस मान रही ताकत
उपचुनाव में कांग्रेस की ताकत केदारनाथ धाम के नाम पर दिल्ली में प्रतीकात्मक मंदिर का निर्माण, धाम से सोना गायब होना, केदारघाटी में आपदा के मुद्दे को ताकत मान रही है। 2017 में केदारनाथ विस जीत कर मनोज रावत ने महिला उम्मीदवार जीतने का मिथक तोड़ा था। कांग्रेस को उम्मीद है कि इस बार भी मनोज रावत मिथक को तोड़ेंगे।