देहरादून। शनिवार को महामारी अधिनियम 1897 उत्तराखंड राज्य संशोधन अध्यादेश को प्रदेश की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने मंजूरी प्रदान कर दी है। इस अध्यादेश को मंजूरी मिल जाने के बाद अब मास्क नहीं पहनने और शारीरिक दूरी का उल्लंघन करने पर 06 माह की सजा या पांच हजार रूपए का जुर्माना देना होगा।
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बता दें कि देश में केरल और उड़ीसा पहले ही इस अध्यादेश को लागू कर चुके हैं। जबकि अब उत्तराखण्ड केंद्र के एक्ट में संशोधन करने वाला देश का तीसरा राज्य बन गया है।
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उल्लेखनीय है कि प्रदेश में वैश्विक महामारी कोरोना के बढ़ते प्रकोप के चलते अनलाॅक-1 के दौरान लोग अब बगैर मास्क एवं शारीरिक दूरी के सड़कों पर बेखौफ होकर घूम रहे हैं। इस महामारी के संक्रमण पर प्रभावी अंकुश लगाने की मंशा से प्रदेश सरकार ने इस अध्यादेश में संशोधन किया है। इस एक्ट की धारा दो और तीन में संशोधन के तहत अब कोविड-19 की प्रभावी अंकुश के लिए फेस मास्क, क्वांरटीन आदि से संबंधित नियम शामिल हैं।
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इनमें उल्लंघन पर आईपीसी की धारा 188 के तहत सरकार की कोविड-19 के लिए जारी गाइडलाइन का उल्लंघन करने वालों पर सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। अभी तक ये नियम था पर एक्ट में प्रावधान न होने पर कंपाउंडिंग की सुविधा नहीं थी। संशोधन अध्यादेश पारित होने के बाद अब कोविड-19 से जुड़े सभी नियम और कड़ाई और प्रभावी ढंग से लागू किए जा सकेंगे।
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इसके तहत राज्य सरकार ने मास्क नहीं पहनने पर जुर्माने की व्यवस्था बनाई है। यदि कोई बिना मास्क के पहली बार पकड़ा जाता है तो उसे सौ रुपये तक जुर्माना देना होगा। इसके बाद हर बार अधिक जुर्माना भरना पड़ेगा। तीन बार से अधिक उल्लंघन पर और सख्त प्रावधान किए गए हैं। इसी प्रकार से कोरोना के तहत क्वारंटीन के नियमों का पालन न करने पर जुर्माने और सजा की व्यवस्था तय कर दी गई है।