उत्तराखंड में चारधाम से जुडी बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति ने बड़ा निर्णय लिया है। समिति के अधीन आने वाले मंदिर परिसरों में बगैर अनुमति के फिल्मों व गानों की शूटिंग नहीं की जाएगी। प्रोडक्शन हाउस, फर्म या संस्थाओं को लिखित रूप में शूटिंग करने का मकसद बताना होगा। जिसकी जांच परख करने के बाद मंदिर समिति की ओर से सक्षम स्तर से शूटिंग की अनुमति दी जाएगी।
समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अंतर्गत कई मंदिर आते हैं। लेकिन इन मंदिर परिसर में बिना अनुमति के ही फिल्मों व गानों का फिल्मांकन किया जा रहा है। कुछ दिन पहले जोशीमठ के नृसिंह मंदिर परिसर में एक आने की शूटिंग करने पर स्थानीय लोगों ने आपत्ति जताई थी।
अजेंद्र अजय ने कहा कि समिति के अधीन आने वाले मंदिर परिसरों में जांच परख के बाद शूटिंग की अनुमति दी जाएगी। इसके लिए उन्होंने समिति के मुख्य कार्याधिकारी को आदेश जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि मंदिर परिसरों में शूटिंग करने के लिए प्रोडक्शन हाउस, फर्म या संस्थाओं को अनुमति लेनी होगी। इसके लिए पटकथा और फिल्मांकन का उद्देश्य लिखित रूप में मंदिर समिति के समक्ष देना होगा। इसके बाद ही शूटिंग की अनुमति दी जाएगी।
बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने पंच केदारों में प्रसिद्ध तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट बंद होने के बावजूद शीतकाल में हो रही अवांछित आवाजाही पर रोक लगाने को कहा है। इस संबंध में उन्होंने जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग को पत्र भेजा है।
समिति के अध्यक्ष ने कहा कि कपाट बंद होने के बाद भगवान तुंगनाथ की शीतकालीन पूजा गद्दीस्थल मक्कूमठ में होती है। जो श्रद्धालु यात्राकाल में तुंगनाथ के दर्शन के लिए नहीं पहुंच पाते हैं, वे मक्कूमठ में भगवान तुंगनाथ के दर्शन करते हैं।
उन्होंने डीएम को पत्र के माध्यम से अवगत कराया कि शीतकालीन में तुंगनाथ मंदिर परिसर में अवांछित आवाजाही पर लोगों ने आपत्ति जताई है। कहा कि पर्यटक शीतकाल में तुंगनाथ मंदिर परिसर तक पहुंचकर प्लास्टिक कूड़ा कचरा फैलाकर धार्मिक मान्यताओं को भी ठेस पहुंचा रहे हैं।
मंदिर समिति अध्यक्ष ने जिलाधिकारी को तुंगनाथ क्षेत्र में शीतकाल में ऐसी व्यवस्था बनाने को कहा है, जिससे पर्यटक की आवाजाही भी प्रभावित न हो और लोगों की धार्मिक आस्था को भी ठेस न पहुंचे।