अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में एडवांस ट्रॉमा लाइफ सपोर्ट (ए टी एल एस) एवं एडवांस ट्रॉमा केयर फॉर नर्सेस (ए टी सी एन) ट्रेनिग वर्कशॉप के दूसरे दिन विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों को आपात स्थिति में जरुरी उपचार व सावधानियों के बारे में व्याख्यान दिए।
इस अवसर पर निदेशक एम्स पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि एटीएलएस व एटीसीएन विषयों में हर चिकित्सक व नर्सिंग ऑफिसर्स की दक्षता जरुरी है। जिससे आपात स्थिति में मरीज की जीवन रक्षा की जा सके।
एम्स निदेशक ने सभी चिकित्सकों से ध्यानपूर्वक प्रशिक्षण में प्रतिभाग करने और इन प्रशिक्षण कार्यशालाओं में शिरकत कर दक्षता हासिल करने के लिए अन्य लोगों को भी प्रेरित करने का आह्वान किया। उन्होंने इससे हम दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों को कम कर सकते हैं।
शनिवार को कार्यशाला के दूसरे दिन एम्स, रायबरेली के डॉ. हर्षित अग्रवाल ने जले हुए मरीजों के उपचार विषय पर व्याख्यान दिया, साथ ही प्रतिभागियों को मरीज को घटनास्थल से अस्पताल के लिए सुरक्षित रेफरल प्रक्रिया की विस्तारपूर्वक जानकारी दी।
एम्स ऋषिकेश के न्यूरो सर्जरी विभाग के चिकित्सक डॉ. जितेंद्र चतुर्वेदी ने दुर्घटना में सिर पर लगने वाली चोटों में प्राथमिक उपचार के तरीके बताए, साथ ही रीढ़ की हड्डी से संबंधित चोटों के बारे में बताया।
एम्स ऋषिकेश की स्त्री रोग विभाग की डॉक्टर लतिका चावला ने प्रतिभागी चिकित्सकों व नर्सिंग ऑफिसरों को गर्भवती महिलाओं को लगने वाली चोटों एवं इससे जच्चा- बच्चा को सुरक्षित रखने की जानकारी दी।
इस अवसर पर ट्रॉमा सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रो. कमर आजम, कोर्स डायरेक्टर डा. मधुर उनियाल, कोर्स इंचार्ज एवं ट्रॉमा सर्जरी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. अजय कुमार, डा. नीरज कुमार, डा. दिवाकर गोयल, नर्सिंग फैकल्टी महेश, नर्सिंग ऑफिसर चंदू, जोमन, अरुण आदि मौजूद थे।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में एडवांस ट्रॉमा लाइफ सपोर्ट (एटीएलएस) एवं एडवांस ट्रॉमा केयर फॉर नर्सेस (एटीसीएन) ट्रेनिग प्रोग्राम का विधिवत शुभारंभ किया गया।
तीन दिवसीय लाइफ सेविंग कोर्स में ट्रॉमा केयर स्पेशलिस्ट्स ने देश के विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी मेडिकल संस्थानों के चिकित्सकों व नर्सिंग ऑफिसर्स को प्रशिक्षण दिया। शुक्रवार को मुख्य अतिथि एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने एम्स ऋषिकेश ट्रॉमा सर्जरी विभाग व सीपीडी के संयुक्त तत्वावधान में तीन दिवसीय (ए टी एल एस) एवं (ए टी सी एन) कार्यशाला का विधिवत शुभारंभ किया।
इस अवसर पर निदेशक एम्स ने कहा कि जीवन सुरक्षा संबंधी ट्रेनिंग कोविड19 के खिलाफ मुहिम के जितनी ही सार्थक है l आए दिन बढ़ रही सड़क दुर्घटना से लोगों की जान जा रही है। लिहाजा ग्रसित व्यक्ति के उपचार के लिए ऐसी ट्रेनिंग से ट्रॉमा के मामलों में मृत्यु दर को कम किया जा सकता है।
निदेशक ने बताया कि निकट भविष्य में ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों की संख्या दोगुनी की जाएगी,जिससे अधिकाधिक चिकित्सकों व नर्सिंग ऑफिसर्स को ट्रॉमा से जुड़े विभिन्न पहलुओं में दक्ष बनाया जा सके। ट्रॉमा सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रो. कमर आजम ने बताया कि इन कार्यशालाओं में प्रतिभाग करने के लिए एटीएलएस इंडिया की वेबसाइट के माध्यम से पंजीकरण कराया जा सकता है। उन्होंने इस तरह की प्रशिक्षण कार्यशालाओं को सड़क दुर्घटनाओं की स्थिति में सहायता के लिए काफी हद तक कारगर बताया।
कोर्स डायरेक्टर डा. मधुर उनियाल ने बताया कि हम इन कोर्सों से अधिकाधिक चिकित्सकों को जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में पेशेंट को पहाड़ों से मैदानी क्षेत्र में ट्रांसपोर्ट करने में काफी वक्त लगता है, जिसकी वजह से पेशेंट लाइफ का लॉस होने की आशंका अधिक रहती है। लिहाजा ऐसी ट्रेनिंग से दुर्घटनास्थल पर ही घायल को फौरीतौर पर सहायता मिल जाती है,जिससे उसे अस्पताल में ट्रांसपोर्ट करने में काफी सहायता मिल सकती है।
कोर्स इंचार्ज एवं ट्रॉमा सर्जरी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. अजय कुमार ने बताया कि तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला में देशभर से 16 चिकित्सक एवं 16 नर्सिंग ऑफिसर्स प्रतिभाग कर रहे हैं। जिनमें एम्स दिल्ली, दून मेडिकल कॉलेज देहरादून, दक्षिण भारत के विभिन्न मेडिकल संस्थानों से प्रतिभागी शामिल हैं।
प्रशिक्षण कार्यशाला में डा. लतिका चावला, डा. जितेंद्र चतुर्वेदी, डा. हर्षित अग्रवाल, डा. नीरज कुमार, डा. दिवाकर गोयल, नर्सिंग फैकल्टी महेश, नर्सिंग ऑफिसर चंदू, जोमन, अरुण आदि ने सहयोग प्रदान किया।