चमोली जिले में आई आपदा में सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आपदा प्रबंधन टीम और पुलिस विभाग के जवान सुरंग में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने की जद्दोजहद में लगे हैं।
मंगलवार को आपदा प्रभावित क्षेत्र से अभी तक छह शव बरामद हुए हैं। इनमें चार शव रैणी और एक-एक शव डिडौली व सेकोट से मिले हैं। सूचना विभाग ने यह पुष्टि की है। अब मृतकों की कुल संख्या 32 और लापता लोगों की संख्या 174 हो गई है। ऋषिगंगा में आए सैलाब के बाद शवों की ढूंढखोज जारी है। अभी तक 32 शवों को मलबे से निकाल लिया गया है, जबकि 174 लोग अभी भी लापता हैं। चमोली जिला प्रशासन की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार सैलाब में 206 लोग लापता हुए हैं।
मलारी हाईवे पर पुल बह जाने के बाद 13 गांव अलग-थलग पड़े हैं। इन गांवों मे हेलीकॉप्टर के जरिए रसद पहुंचाई जा रही है। आईटीबीपी के करीब 50 जवान रसद पहुंचाने में लगे हुए हैं। वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज राज्य सभा में अपने संबोधन के दौरान उत्तराखंड के चमोली जिले में हिमस्खलन से आई आपदा के राहत-बचाव कार्य की जानकारी दी।
टनल में अंधेरा और ऑक्सीजन की कमी के कारण एनडीआरएफ की टीम अब ऑक्सीजन सिलिंडर लगाकर टनल में घुसने की योजना बना रही है। साथ ही टनल में ड्रोन से भी खोजबीन कार्य शुरु किया जाएगा। वहीं, तपोवन और रैणी क्षेेत्र में लापता लोगों के परिजन अपनों की तलाश में भटक रहे हैं। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रभावित लाता और रैैणी गांव में ग्रामीणों का हालचाल पूछा। सीएम ने रविवार को टनल से निकाले गए लोगों से आईटीबीपी के अस्पताल में भर्ती मरीजों का हालचाल जाना।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आपदा प्रभावित सीमांत गांव क्षेत्र रैणी जाकर वहां की स्थिति का जायजा लिया। मुख्यमंत्री ने ग्रामीणों से मुलाकात की और उनकी समस्याओं की जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने ग्रामीणों को हर सम्भव सहायता के प्रति आश्वस्त किया है। तपोवन परियोजना स्थल में शवों की ढूंढखोज और टनल में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए आईटीबीपी के 300 जवान, एनडीआरएफ की छह टीम, एसडीआरएफ की दो टीमें लगी हुई हैं।