नैनीताल। हाईकोर्ट ने दून विश्वविद्यालय के कुलसचिव की नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद कुलसचिव की नियुक्ति को अवैध बताते हुए उनके समस्त वित्तीय अधिकार सीज कर उन्हें पद से हटाने के आदेश दिए हैं।
गुरूवार को हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि कुमार मलिमथ एवं न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार देहरादून निवासी शांति प्रसाद भट्ट ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि दून विश्वविद्यालय के कुलसचिव की नियुक्ति नियमावली को ताक पर रखकर की गई है। याचिका में कहा कि यूजीसी की नियमावली के अनुसार कुलसचिव पद के पात्र व्यक्ति के लेक्चरर या प्रोफेसर होने की योग्यता रखी गई है।
याचिकाकर्ता का कहना था कि दून विश्वविद्यालय के वर्तमान पदासीन कुलसचिव के पास ऐसी कोई भी योग्यता नहीं है और वह उस पद के लिए अर्हता पूरी नहीं करते हैं। याचिकाकर्ता की ओर से उनकी नियुक्ति विधि विरुद्ध बताते हुए कुलसचिव को पद से हटाने के लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन को आदेश देने की प्रार्थना की गई थी। पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कुलसचिव की नियुक्ति को अवैध करार देते हुए उनके समस्त वित्तीय अधिकार सीज कर उन्हें पद से हटाने के आदेश दिए हैं।